*अगर इंसान भी नरम हो जाये तो लोगो की दिलों मे अपनी जगह बना लेता है !*

शख्सियत अच्छी होगी !
तभी दुश्मन बनेगे ,
वरना बुरे की तरफ , देखता ही कौन हैं !!
पत्थर भी उसी पेड़ पर फेंके जाते हैं, जो फलों से लदा होता है ,
देखा है किसी को सूखे पेड पर पत्थर फेंकते हुए.

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*पहाड चढने वाला व्यक्ती झुककर चलता है और ऊतरने वाला कडक चलता है |*
*कोई अगर इंसान झुककर चल रहा है मतलब ऊँचाई पर जा रहा है इंसान अकड कर चल रहा है, मतलब नीचे जा रहा है 


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|रिश्ते और बर्फ के गोले 
एक समान ही होते हैं...
जिसे बनाना तो आसान होता है
लेकिन बनाए रखना
बहुत मुश्किल होता हैं
दोनो को बचाए रखने का
बस एक ही तरीका है...
...शीतलता बनाए रखिऐ.


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लोहा नरम होकर औजार बन जाता है,
सोना नरम होकर जेवर बन जाता है !
मिट्टी नरम होकर खेत बन जाती है, 
आटा नरम होता है तो रोटी बन जाती है !
ठीक इसी तरह अगर इंसान भी नरम हो जाये तो लोगो की दिलों मे अपनी जगह बना लेता है !
सदैव बेहतर की उम्मीद करे ! 



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किसी के सरल स्वभाव को  कमज़ोरी न समझो,
संसार में पानी से अधिक सरल कुछ भी नहीं,
मगर उसका तेज़ बहाव बड़ी से बड़ी चट्टान को चूर चूर कर डालता है।

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जहाँ तुम हो,
          वहाँ तुम्हें सब प्यार करें
जहाँ से तुम चले जाओ,
           वहाँ तुम्हें सब याद करें
जहाँ तुम पहुँचने वाले हो,
           वहाँ सब तुम्हारा इंतजार करे


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"भाग्य" के दरवाजे पर
सर पीटने से बेहतर है,
"कर्मो" का तूफ़ान पैदा करे
सारे दरवाजे खुल जायेंगे.!
परिस्थितिया जब विपरीत होती है,
तब "प्रभाव और पैसा" नहीं
"स्वभाव और सम्बंध" काम आते है ॥


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"स्वभाव" रखना है तो उस "दीपक" की तरह रखो. , जो "बादशाह" के महल में भी उतनी "रोशनी" देता है,
जितनी किसी "गरीब" की "झोपड़ी" में_।।

  
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​​कोयल​ अपनी भाषा बोलती है,​
        ​इसलिये  ​आज़ाद​ रहती हैं.​
  ​किंतु  ​तोता​ दूसरे कि भाषा बोलता है,​
      ​इसलिए पिंजरे में जीवन भर​
                 ​​गुलाम​ रहता है.​
​अपनी ​भाषा,​​
        ​अपने ​विचार​ और​
               _​"अपने आप"​ पर विश्वास करें..!