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अनुभव कहता है खामोशियाँ ही बेहतर हैं, शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं..."

*मेरा रब  कहता है !!*
*मत सोच रे बन्दे,*
*इतना ज़िन्दगी के बारे में !!*

*मैंने ये ज़िंदगी दी है तो,*
*कुछ सोचा होगा तेरे बारे मे !!*

*"अनुभव कहता है*
*खामोशियाँ ही बेहतर हैं,*
*शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं..."*

*जिंदगी गुजर गयी....*
*सबको खुश करने में ..*

*जो खुश हुए वो अपने नहीं थे,*
*जो अपने थे वो कभी खुश नहीं* *हुए...*

*कितना भी समेट लो..*
*हाथों से फिसलता ज़रूर है..*

*ये वक्त है साहब..*
*बदलता ज़रूर है..*

*फूलों में भी कीड़े पाये*
*जाते हैं..,*
*पत्थरों में भी हीरे पाये*
*जाते हैं..,*
*बुराई को छोड़कर अच्छाई देखो यारों..,*
*नर में भी नारायण पाये जाते हैं..!!"*
*मैं आपके साथ हूँ ये मेरा भाग्य है*
*पर आप सब मेरे साथ हो ये मेरा परम सौभाग्य है...!!*

*अगर मुस्कुराहट के लिए*
*ईश्वर का शुक्रिया नहीं किया,*

*तो आँखों मे आये आँसुओं के लिये*
*शिकायत का हक़ कैसा*...?

*चिंता बड़ी अभागिनी, चिंता चित्ता सामान।* 

*चिंता से चतुराई घटे,*                                                                                    *घटे रूप और ज्ञान।*  

*चिंता बड़ी अभागिनी,*                                                      *चिंता चित्ता सामान।* 

*तुलसी भरोसे राम के,*                                                               *निश्चिंत होय के सोय।* 

*अनहोनी होनी नहीं,*                                                               *होनी होय सो होय।*                                    





*अरीसो फरी आजे लांच लेता झडपायो...!!!*

*दिलमां दर्द हतुं तो पण चहेरो हसतो देखायो...!!!*

*लि - गुजरात नो शिक्षक*

"गुस्से में जो छोड़ जाये वो वापस आ सकता है, मुस्कुराकर छोड़कर जाने वाला कभी वापस नही आता.


*"गुस्से में जो छोड़ जाये वो वापस आ सकता है,*
*मुस्कुराकर छोड़कर जाने वाला कभी वापस नही आता.*

*"जरूर कोई तो लिखता होगा...*
*कागज और पत्थर का भी नसीब...*
*वरना ये मुमकिन नहीं की...*
*कोई पत्थर ठोकर खाये और कोई पत्थर भगवान बन जाये...*
*और...*

*कोई कागज रद्दी  और कोई कागज गीता बन जाये"...!*

आपको कोई फ़र्क नहीं पड़ता पर "उसको तो फ़र्क पड़ता है!

एक बार समुद्री तूफ़ान के बाद हजारों लाखों मछलियाँ किनारे पर रेत पर तड़प तड़प कर मर रहीँ थीं ! इस भयानक स्थिति को देखकर पास में रहने वाले एक 6 वर्ष के बच्चे से रहा नहीं गया, और वह एक एक मछली उठा कर समुद्र में वापस फेकनें लगा ! यह देख कर उसकी माँ बोली, बेटा लाखों की संख्या में है , तू कितनों की जान बचाएगा ,यह सुनकर बच्चे ने अपनी स्पीड और बढ़ा दी, माँ फिर बोली बेटा रहनें दे कोई फ़र्क नहीं पड़ता !

बच्चा जोर जोर से रोने लगा और एक मछली को समुद्र में फेकतें हुए जोर से बोला माँ "इसको तो फ़र्क पड़ता है" दूसरी मछली को उठाता और फिर बोलता माँ "इसको तो फ़र्क पड़ता हैं" ! माँ ने बच्चे को सीने से लगा लिया !

हो सके तो लोगों को हमेशा होंसला और उम्मीद देनें की कोशिश करो, न जानें कब आपकी वजह से किसी की जिन्दगी बदल जाए! क्योंकि आपको कोई फ़र्क नहीं पड़ता पर "उसको तो फ़र्क पड़ता है!





*यह कैसी बिडम्बना है कि मानव, मानव पर तो विश्वास कर रहा है पर जिस दयालु प्रभु ने मानव को जन्म दिया उस पर विश्वास नहीं कर पा रहा है। ये शरीर, मन, बुद्धि, विचार, ऊर्जा देने वाले तो श्री हरि ही हैं।*

*आदमी सुबह जगता है घर के प्रत्येक सदस्य को " गुड मोर्निंग " बोलता है लेकिन जिस प्रभु के कारण गुड मोर्निंग कहने के लिए एक दिन और मिल गया, उसे बिलकुल भी स्मरण नहीं कर रहा। तुम जगत के रूठने का बिलकुल भी भय मत करो, प्रभु ना रूठें यह ध्यान रखो।*

*हांड- मांस के पुतलों का विस्मरण हो जाये कोई बात नहीं परमात्मा (Krishna) का विस्मरण ना हो। तुम लक्ष्मी के पीछे मत भागो , नारायण को पकड़ लोगे तो लक्ष्मी दौड़ी चली आएगी।*

*माया को हर कोई भजे,हरि को भजे ना कोय।*
*कह Das हरि को भजे माया चेरी(दासी)होय ।।*

   

जब तक हम किसी भी काम को करने की कोशिश नही करते है जब तक हमे वो काम नामुमकिन ही लगता है।*

*जलेबी सिर्फ मिठी ही नहीं*
*एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है,*
*खुद कितने भी उलझें रहो,*
*पर दुसरों को हमेशा मिठास दो*



*क्या खूब कहा हैं किसी ने*
*जिनके उपर जिम्मेदारीओ*
*का बोझ होता है,*
*उनको*
*"रुठने" और "टूटने" का*
*हक नही होता..!!*




*जब तक हम किसी भी*
*काम को करने की*
*कोशिश नही करते है*
*जब तक*
*हमे वो काम*
*नामुमकिन ही लगता है।*



बहुत दिन बाद पकड़ में आई...

थोड़ी सी खुशी...

तो पूछा ?


"कहाँ रहती हो आजकल.... ?

ज्यादा मिलती नहीं..?"


"यही तो हूँ" 

जवाब मिला।


बहुत भाव खाती हो खुशी ?..

कुछ सीखो

अपनी बहन से...

हर दूसरे दिन आती है 

हमसे मिलने..  "परेशानी"।


"आती तो मैं भी हूं... 

पर आप ध्यान नही देते"।


"अच्छा...? कहाँ थी तुम जब पड़ोसीने नई गाड़ी ली ?

और तब कहाँ थी जब रिश्तेदार ने बड़ा घर बनाया?"


शिकायत होंठो पे थी कि.....

उसने टोक दिया बीच में.

 

"मैं रहती हूँ..…

कभी आपकी बच्चे की किलकारियो में,


कभी रास्ते मे मिल जाती हूँ ..

एक दोस्त के रूप में,


कभी ...

एक अच्छी फिल्म देखने में, 


कभी... 

गुम कर मिली हुई किसी चीज़ में,


कभी... 

घरवालों की परवाह में,


कभी ...

मानसून की पहली बारिश में,


कभी... 

कोई गाना सुनने में,


दरअसल...

थोड़ा थोड़ा बाँट देती हूँ, 

खुद को

छोटे छोटे पलों में....


उनके अहसासों में।

      

लगता है चश्मे का नंबर बढ़ गया है आपका...!

सिर्फ बड़ी चीज़ो में ही ढूंढते हो मुझे.....!!! 

खैर...

अब तो पता मालूम हो गया ना मेरा...?

ढूंढ लेना मुझे आसानी से अब छोटी छोटी बातों में..."





* खुश रहने के दो तरीके हैं;

* आवश्यकताओं को कम करें * और * स्थिति * के साथ सहभागिता।

प्रशंसा से पिंघलना मत आलोचना से उबलना मत

*प्रशंसा से पिंघलना मत*

*आलोचना से उबलना मत*



*अंदाज कुछ अलग हैं,*

        *मेरे सोचने का.!!!*

*सबको मंजिल का शोक हैं.!!*

 *और मुझे सही रास्तों का.!!!*

 *लोग कहते हैं, पैसा रखो, बुरे वक्त में काम आयेगा...*

*हम कहते है अच्छे लोगों के साथ रहो, बुरा वक्त ही नहीं आयेगा.*



*निस्वार्थ भाव से कर्म कर*      *क्योंकि*

           *इस धरा का*

           *इस धरा पर*             

      *सब धरा रह जाएगा*

*श्री कृष्ण ने बहुत बड़ी बात कही है,*

*ना जीत चाहिए,*

*ना हार चाहिए,*

*जीवन की सफलता के लिए केवल*

          *मित्र और परिवार* 

                  *चाहिए*

          





कैसा हो घर का वास्तु-  अटल जी की ज़ुबानी

घर चाहे कैसा भी हो..
उसके एक कोने में..
खुलकर हंसने की जगह रखना..

सूरज कितना भी दूर हो..
उसको घर आने का रास्ता देना..

कभी कभी छत पर चढ़कर..
तारे अवश्य गिनना..
हो सके तो हाथ बढ़ा कर..
चाँद को छूने की कोशिश करना .

अगर हो लोगों से मिलना जुलना..
तो घर के पास पड़ोस ज़रूर रखना..

भीगने देना बारिश में..
उछल कूद भी करने देना..
हो सके तो बच्चों को..
एक कागज़ की किश्ती चलाने देना..

कभी हो फुरसत,आसमान भी साफ हो..
तो एक पतंग आसमान में चढ़ाना..
हो सके तो एक छोटा सा पेंच भी लड़ाना..

घर के सामने रखना एक पेड़..
उस पर बैठे पक्षियों की बातें अवश्य  सुनना..

घर चाहे कैसा भी हो..
घर के एक कोने में..
खुलकर हँसने की जगह रखना.

चाहे जिधर से गुज़रिये
मीठी सी हलचल मचा दिजिये,

उम्र का हरेक दौर मज़ेदार है
अपनी उम्र का मज़ा लिजिये.

ज़िंदा दिल रहिए जनाब,
ये चेहरे पे उदासी कैसी
वक्त तो बीत ही रहा है,
उम्र की एेसी की तैसी

ज्यारे कोई गरीब ने हसता जोवु छु ने त्यारे विश्वास आवी जाय छे के, खुशी ने पेसा साथे कोई संबंध नथी

*ज्यारे कोई गरीब ने हसता जोवु छु ने त्यारे विश्वास आवी जाय छे के,*

*खुशी ने पेसा साथे*
*कोई संबंध नथी*



सुपर सुविचार


 *आँखों में रहने वाले को याद नही करते* 

 *दिल में रहने वाले कि बात नही करते* 

 *हमारी तो रूह में बस गये हो आप* 

 *तभी तो मिलने कि फरियाद नही करते* 












आज का मीठा मोती

*आप दुःख पर ध्यान देंगे*
*तो हमेशा दुःखी रहेंगे...*
*और सुख पर ध्यान दें*
*तो हमेशा सुखी रहेंगे ।*
*क्योंकि आप जिस पर*
*ध्यान देते हैं वही चीज*
*सक्रिय हो जाती है.....*
*क्योंकि ध्यान ही जीवन*
*की सबसे बड़ी कुंजी है ।*

   

*अहम जिनमें* 
           *कम होते हैं,*

*अहमियत*
*उनकी ज्यादा होती है !!*

*

*आज का दिन शुभ मंगलमय हो।*
*स्वभाव थोड़ा नरम रहे*
*गुस्सा भी थोड़ा कम रहे*
*तो जीवन थोड़ा सरल रहे*
*यही रहे नियम अगर*
*तो मुश्किल सभी दूर रहे*
*सुख हो चाहे दुख राहों में*
*चेहरे पर खिली हर पल मुस्कान रहे...*

कहानी तीन बेस्ट दोस्तों की एकबार जरूर पढ़ें ।

      *कहानी तीन*
     *बेस्ट दोस्तों की*
         
         *"ज्ञान,धन"* 
              *और*
            *विश्वास*
          *तीनों बहुत*
      *अच्छे दोस्त भी थे*
*तीनों में बहुत प्यार भी था*
       *एक वक़्त आया*
               *जब*
            *तीनों को*
       *जुदा होना पड़ा*
     *तीनों ने एक दुसरे से*
          *सवाल किया*
                 *कि*
        *हम कहाँ मिलेंगे*
           *ज्ञान ने कहा*
                  *मैं*
         *मंदिर,विद्यालय*
                  *मे*
              *मिलूँगा*
           *धन ने कहा*
                  *मैं*
        *अमीरों के पास*  
              *मिलूँगा*

              *विश्वास*
               *चुप था*
     *दोनों ने चुप होने की*
            *वजह पुछी*
                  *तो*
             *विश्वास ने*
           *रोते हुवे कहा*
                   *मैं*
         *एक बार चला ग़या*
                  *तो*
           *फिर कभी नही*
                *मिलूँगा*



इंसान घर बदलता है ,,लिबास बदलता है ,,
         रिस्ते बदलता है ,,
दोस्त बदलता है ,,
फिर भी परेशान क्यो रहता है 
         क्योकी वो खुदको नही बदलता ।।
                    " मिर्जा गालिब ने कहा है "
       उम्र भर गालिब यही भूल करता रहा...!! 
धूल चेहरे पर थी ओर आईंना साफ करता रहा..!!

भरोसा खुद पर रखो तो ताकत बन जाती है

*भरोसा खुद पर रखो*
                 *तो ताकत बन जाती है*
*और दूसरों पर रखो तो*
                 *कमजोरी बन जाती है…!*
*आप कब सही थे...*
                *इसे कोई याद नहीं रखता।*
*लेकिन आप कब गलत थे...*
                *इसे सब याद रखते हैं।*

*पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है"*
   *"जिसको समस्या न हो"*
           *"और"*
*"पृथ्वी पर कोई समस्या ऐसी नहीं है"*
*"जिसका कोई समाधान न हो...*

*मंजिल  चाहें  कितनी भी  ऊँची  क्यों न हो,  रास्ते  हमेशा  पैरों  के  नीचे  ही  होते है।*




_*दोनों तरफ़ से निभाया जाये, वही रिश्ता कामयाब होता है साहिब....*_

_*एक तरफ़ से सेंक कर तो रोटी भी नहीं बनती....!!!!*_




सुपर सुविचार





इस प्रकार, दिन बीत गए, रोस भी शाम को गिर गया,
एक व्यक्ति एक-एक करके मारा, जिम्मेदारी में वृद्धि हुई,
सपने बंद हो गए और चुपके, हाथ की रेखाएं जला दी गईं,
पैसे और स्थिति में खेलते हुए, साली जीवन फिसल गया,
अच्छा या सत्य होने की सजा,
मैं यह नहीं करना चाहता, मुझे एक उचित निर्देश मिला,
हमें रहना पड़ा, हमारे पास वह उम्र भी थी,
इस तरह दिन बीत गए और जीवन की शाम को भी गिर गया,









*परमात्मा कभी भाग्य नहीं लिखता, जीवन के हर कदम पर हमारी सोच, हमारे बोल एवं हमारे कर्म ही  हमारा भाग्य लिखते हैं...!*


     






               *बहुत शानदार बात लिखी*

          गाँव में *नीम* के पेड़ कम हो रहे है         
          घरों में *कड़वाहट* बढती जा रही है !

          जुबान में *मीठास* कम हो रही है,
          शरीर मे *शुगर* बढती जा रही है !

   किसी महा पुरुष ने सच ही कहा था की जब *किताबे* सड़क किनारे रख कर बिकेगी और *जूते* काँच के शोरूम में तब समझ जाना के लोगों को ज्ञान की नहीं जूते की जरुरत है।


    *"कद्र"* करनी है तो *"जीते जी"* करें
*"मरने"* के बाद तो *"पराए"* भी रो देते हैं
आज *"जिस्म"* मे *"जान"* है तो
        देखते नही हैं *"लोग"*
जब *"रूह"* निकल जाएगी तो
          *"कफन"* हटा हटा कर देखेंगे
*किसी ने क्या खूब लिखा है*
            *"वक़्त"* निकालकर
*"बाते"* कर लिया करो *"अपनों से"*
अगर *"अपने ही"* न रहेंगे
          तो *"वक़्त"* का क्या करोगे
*"गुरुर"* किस बात का... *"साहब"*
आज *"मिट्टी"* के ऊपर
          तो कल "मीट्टीकै नीचे.



         




यदि बजरी सड़क पर कंकड़ है, तो इसे एक अच्छा बूट पहनकर चलाया जा सकता है। लेकिन अगर अच्छे जूते में ढेर होता है, तो अच्छी सड़क पर थोड़ा मुश्किल चलना मुश्किल होता है।

तो - "हम बाहरी चुनौती पर हार नहीं पाते हैं, हम अपनी कमजोरियों को खो देते हैं"