अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस- विषय पर निबंध नारी का सम्मान

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस- विषय पर निबंध नारी का सम्मान
महिला दिवस पर निबंध : नारी का सम्मान

   

रवीन्द्र गुप्ता

भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- 'यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। किंतु वर्तमान में जो हालात दिखाई देते हैं, उसमें नारी का हर जगह अपमान होता चला जा रहा है। उसे 'भोग की वस्तु' समझकर आदमी 'अपने तरीके' से 'इस्तेमाल' कर रहा है। यह बेहद चिंताजनक बात है। लेकिन हमारी संस्कृति को बनाए रखते हुए नारी का सम्मान कैसे किय जाए, इस पर विचार करना आवश्यक है।

माता का हमेशा सम्मान हो

 

मां अर्थात माता के रूप में नारी, धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है। माता यानी जननी। मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है, क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही रही है। मां देवकी (कृष्ण) तथा मां पार्वती (गणपति/ कार्तिकेय) के संदर्भ में हम देख सकते हैं इसे।

 

किंतु बदलते समय के हिसाब से संतानों ने अपनी मां को महत्व देना कम कर दिया है। यह चिंताजनक पहलू है। सब धन-लिप्सा व अपने स्वार्थ में डूबते जा रहे हैं। परंतु जन्म देने वाली माता के रूप में नारी का सम्मान अनिवार्य रूप से होना चाहिए, जो वर्तमान में कम हो गया है, यह सवाल आजकल यक्षप्रश्न की तरह चहुंओर पांव पसारता जा रहा है। इस बारे में नई पीढ़ी को आत्मावलोकन करना चाहिए।

 

 

बाजी मार रही हैं लड़कियां

अगर आजकल की लड़कियों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि ये लड़कियां आजकल बहुत बाजी मार रही हैं। इन्हें हर क्षेत्र में हम आगे बढ़ते हुए देखा जा सकता है । विभिन्न परीक्षाओं की मेरिट लिस्ट में लड़कियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। किसी समय इन्हें कमजोर समझा जाता था, किंतु इन्होंने अपनी मेहनत और मेधा शक्ति के बल पर हर क्षेत्र में प्रवीणता अर्जित कर ली है। इनकी इस प्रतिभा का सम्मान किया जाना चाहिए।

 

कंधे से कंधा मिलाकर चलती नारी

नारी का सारा जीवन पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने में ही बीत जाता है। पहले पिता की छत्रछाया में उसका बचपन बीतता है। पिता के घर में भी उसे घर का कामकाज करना होता है तथा साथ ही अपनी पढ़ाई भी जारी रखनी होती है। उसका यह क्रम विवाह तक जारी रहता है। 

 

उसे इस दौरान घर के कामकाज के साथ पढ़ाई-लिखाई की दोहरी जिम्मेदारी निभानी होती है, जबकि इस दौरान लड़कों को पढ़ाई-लिखाई के अलावा और कोई काम नहीं रहता है। कुछ नवुयवक तो ठीक से पढ़ाई भी नहीं करते हैं, जबकि उन्हें इसके अलावा और कोई काम ही नहीं रहता है। इस नजरिए से देखा जाए, तो नारी सदैव पुरुष के साथ कंधेसे कंधा मिलाकर तो चलती ही है, बल्कि उनसे भी अधि‍क जिम्मेदारियों का निर्वहन भी करती हैं। नारी इस तरह से भी सम्माननीय है।

 

विवाह पश्चात

विवाह पश्चात तो महिलाओं पर और भी भारी जिम्मेदारि‍यां आ जाती है। पति, सास-ससुर, देवर-ननद की सेवा के पश्चात उनके पास अपने लिए समय ही नहीं बचता। वे कोल्हू के बैल की मानिंद घर-परिवार में ही खटती रहती हैं। संतान के जन्म के बाद तो उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। घर-परिवार, चौके-चूल्हे में खटने में ही एक आम महिला का जीवन कब बीत जाता है, पता ही नहीं चलता। कई बार वे अपने अरमानों का भी गला घोंट देती हैं घर-परिवार की खातिर। उन्हें इतना समय भी नहीं मिल पाता है वे अपने लिए भी जिएं। परिवार की खातिर अपना जीवन होम करने में भारतीय महिलाएं सबसे आगे हैं। परिवार के प्रति उनका यह त्याग उन्हें सम्मान का अधि‍कारी बनाता है।

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बच्चों में संस्कार डालना

बच्चों में संस्कार भरने का काम मां के रूप में नारी द्वारा ही किया जाता है। यह तो हम सभी बचपन से सुनते चले आ रहे हैं कि बच्चों की प्रथम गुरु मां ही होती है। मां के व्यक्तित्व-कृतित्व का बच्चों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार का असर पड़ता है। 

 

इतिहास उठाकर देखें तो मां पुतलीबाई ने गांधीजी व जीजाबाई ने शिवाजी महाराज में श्रेष्ठ संस्कारों का बीजारोपण किया था। जिसका ही परिणाम है कि शिवाजी महाराज व गांधीजी को हम आज भी उनके श्रेष्ठ कर्मों के कारण आज भी जानते हैं। इनका व्यक्तित्व विराट व अनुपम है। बेहतर संस्कार देकर बच्चे को समाज में उदाहरण बनाना, नारी ही कर सकती है। अत: नारी सम्माननीय है।

 

 

अभद्रता की पराकाष्ठा

आजकल महिलाओं के साथ अभद्रता की पराकाष्ठा हो रही है। हम रोज ही अखबारों और न्यूज चैनलों में पढ़ते व देखते हैं, कि महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की गई या सामूहिक बलात्कार किया गया। इसे नैतिक पतन ही कहा जाएगा। शायद ही कोई दिन जाता हो, जब महिलाओं के साथ की गई अभद्रता पर समाचार न हो। 
 

क्या कारण है इसका? प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में दिन-पर-‍दिन अश्लीलता बढ़ती‍ जा रही है। इसका नवयुवकों के मन-मस्तिष्क पर बहुत ही खराब असर पड़ता है। वे इसके क्रियान्वयन पर विचार करने लगते हैं। परिणाम होता है दिल्ली गैंगरेप जैसा जघन्य व घृणित अपराध। नारी के सम्मान और उसकी अस्मिता की रक्षा के लिए इस पर विचार करना बेहद जरूरी है, साथ ही उसके सम्मान और अस्मिता की रक्षा करना भी जरूरी है।

 

 

अशालीन वस्त्र भी एक कारण

कतिपय 'आधुनिक' महिलाओं का पहनावा भी शालीन नहीं हुआ करता है। इन वस्त्रों के कारण भी यौन-अपराध बढ़ते जा रहे हैं। इन महिलाओं का सोचना कुछ अलग ढंग का हुआ करता हैं। वे सोचती हैं कि हम आधुनिक हैं। यह विचार उचित नहीं कहा जा सकता है। अपराध होने यह बात उभरकर सामने नहीं आ पाती है कि उनके वस्त्रों के कारण भी यह अपराध प्रेरित हुआ है।

 

‍इतिहास से

देवी अहिल्याबाई होलकर, मदर टेरेसा, इला भट्ट, महादेवी वर्मा, राजकुमारी अमृत कौर, अरुणा आसफ अली, सुचेता कृपलानी और कस्तूरबा गांधी आदि जैसी कुछ प्रसिद्ध महिलाओं ने अपने मन-वचन व कर्म से सारे जग-संसार में अपना नाम रोशन किया है। कस्तूरबा गांधी ने महात्मा गांधी का बायां हाथ बनकर उनके कंधे से कंधा मिलाकर देश को आजाद करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

 

इंदिरा गांधी ने अपने दृढ़-संकल्प के बल पर भारत व विश्व राजनीति को प्रभावित किया है। उन्हें लौह-महिला यूं ही नहीं कहा जाता है। इंदिरा गांधी ने पिता, पति व एक पुत्र के निधन के बावजूद हौसला नहीं खोया। दृढ़ चट्टान की तरह वे अपने कर्मक्षेत्र में कार्यरत रहीं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रेगन तो उन्हें 'चतुर महिला' तक कहते थे, क्योंकि इंदिराजी राजनीति के साथ वाक्-चातुर्य में भी माहिर थीं।

 

अंत में...

अंत में हम यही कहना ठीक रहेगा कि हम हर महिला का सम्मान करें। अवहेलना, भ्रूण हत्या और नारी की अहमियत न समझने के परिणाम स्वरूप महिलाओं की संख्या, पुरुषों के मुकाबले आधी भी नहीं बची है। इंसान को यह नहीं भूलना चाहिए, कि नारी द्वारा जन्म दिए जाने पर ही वह दुनिया में अस्तित्व बना पाया है और यहां तक पहुंचा है। उसे ठुकराना या अपमान करना सही नहीं है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी, दुर्गा व लक्ष्मी आदि का यथोचित सम्मान दिया गया है अत: उसे उचित सम्मान दिया ही जाना चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस- विषय पर वांचवालायक विगत

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस- विषय पर वांचवालायक विगत

हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाते है – WHY DO WE CELEBRATE INTERNATIONAL WOMEN’S DAY IN HINDI

किसी भी देश की प्रगति के लिए जरूरी है उस देश की आर्थिक, राजनितिक और सामाजिक क्षेत्रो में महिलाओ की भूमिका, बिना महिलाओ के योगदान के कोई भी देश प्रगति नहीं कर सकता. अत: इसके लिए जरुरत है लिंग असमानता (Gender inequality)  खत्म करने की. ऐसे कई देश है जहाँ आर्थिक और राजनतिक क्षेत्रो में महिलाओ की संख्या पुरुषो के मुकाबले बहुत कम है, कई जगहों पर महिलाये पुरुषो की तुलना में शिक्षा में बहुत पिछड़ी हुई है. अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन इन असमानताओ को दूर करने के लिए, समाज को ध्यान दिलाने के लिए पुरे विश्व से महिलाये एक साथ एकत्रित होती है. कई देशो में महिलाये एकत्रित होकर मार्च, रैलीया निकालती है. कला कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते है, भाषण और सेमिनार आयोजित किये जाते है.  उन महिलाओ को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने सभी असमानताओ से लड़ा और उपलब्धियाँ हासिल की.

HISTORY OF INTERNATIONAL WOMEN’S DAY IN HINDI

 

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास – कैसे शुरुआत हुई अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की

1908 में 15000 महिलाओ ने न्यूयॉर्क सिटी में वोटिंग अधिकारों की मांग के लिए, काम के घंटे कम करने के लिए और बेहतर वेतन मिलने के लिए मार्च निकाला. एक साल बाद अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी की घोषणा के अनुसार 1909 में यूनाइटेड स्टेट्स में पहला राष्ट्रीय महिला दिवस 28 फरवरी को मनाया गया. 1910 में clara zetkin (जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की महिला ऑफिस की लीडर) नामक महिला ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का विचार रखा, उन्होंने सुझाव दिया की महिलाओ को अपनी मांगो को आगे बढ़ने के लिए हर देश में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाना चाहिए.  एक कांफ्रेंस में 17 देशो की 100 से ज्यादा महिलाओ ने इस सुझाव पर सहमती जताई और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की स्थापना हुई, इस समय इसका प्रमुख उद्देश्य महिलाओं को वोट का अधिकार दिलवाना था. 1911, मार्च 19 को पहली बार आस्ट्रिया डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में  international women’s day  मनाया गया. 1913 में इसे ट्रांसफर कर 8 मार्च कर दिया गया और तब से इसे हर साल इसी दिन मनाया जाता है. 1975 में पहली बार यूनाइटेड नेशन ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया.

'अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस' 8 मार्च को सम्पूर्ण विश्व में मनाया जाता है। विश्व के कई देशों में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश भी रहता है। यह दिन महिलाओं के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के लिए सब जगह विशेष रूप से मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) के दिन सम्पूर्ण विश्व में अनेक आयोजन किये जाते हैं। महिलाओं के प्रेम, त्याग, आत्मविश्वास एवं समाज के प्रति उनके बलिदान के लिए उनके प्रति सम्मान प्रदर्शित किया जाता है। विभिन्न महिला संगठनों द्वारा अनेक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। पुरुषों द्वारा अपनी महिला सम्बन्धियों यथा माता, बहिन, पत्नी एवं पुत्री आदि को उपहार देने का भी चलन हो गया है।

हर साल हम 8 मार्च को विश्व की प्रत्ये‍क महिला के सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं। लेकिन महिला दिवस मनाए जाने का इतिहास हर कोई नहीं जानता। जानिए महिला दिवस को इतिहास के झरोखों से - 

 

8 मार्च को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्पूर्ण विश्व की महिलाएं देश, जात-पात, भाषा, राजनीतिक, सांस्कृतिक भेदभाव से परे एकजुट होकर इस दिन को मनाती हैं। साथ ही पुरुष वर्ग भी इस दिन को महिलाओं के सम्मान में समर्पित करता है।

 

दरअसल इतिहास के अनुसार समानाधिकार की यह लड़ाई आम महिलाओं द्वारा शुरू की गई थी। प्राचीन ग्रीस में लीसिसट्राटा नाम की एक महिला ने फ्रेंच क्रांति के दौरान युद्ध समाप्ति की मांग रखते हुए इस आंदोलन की शुरूआत की, फारसी महिलाओं के एक समूह ने वरसेल्स में इस दिन एक मोर्चा निकाला, इस मोर्चे का उद्देश्य युद्ध की वजह से महिलाओं पर बढ़ते हुए अत्याचार को रोकना था।

 

सन 1909 में सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका द्वारा पहली बार पूरे अमेरिका में 28 फरवरी को महिला दिवस मनाया गया। सन 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल द्वारा कोपनहेगन में महिला दिवस की स्थापना हुई और 1911 में ऑस्ट्रि‍या, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में लाखों महिलाओं द्वारा रैली निकाली गई। मताधिकार, सरकारी कार्यकारिणी में जगह, नौकरी में भेदभाव को खत्म करने जैसी कई मुद्दों की मांग को लेकर इस का आयोजन किया गया था। 1913-14 प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, रूसी महिलाओं द्वारा पहली बार शांति की स्थापना के लिए फरवरी माह के अंतिम रविवार को महिला दिवस मनाया गया। 

 

यूरोप भर में भी युद्ध के खिलाफ प्रदर्शन हुए। 1917 तक विश्व युद्ध में रूस के 2 लाख से ज्यादा सैनिक मारे गए, रूसी महिलाओं ने फिर रोटी और शांति के लिए इस दिन हड़ताल की। हालांकि राजनेता इस आंदोलन के खिलाफ थे, फिर भी महिलाओं ने एक नहीं सुनी और अपना आंदोलन जारी रखा और इसके फलस्वरूप रूस के जार को अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी साथ हीसरकार को महिलाओं को वोट देने के अधिकार की घोषणा भी करनी पड़ी। 

 

महिला दिवस अब लगभग सभी विकसित, विकासशील देशों में मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक तरक्की दिलाने व उन महिलाओं को याद करने का दिन है, जिन्होंने महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए अथक प्रयास किए। 

 

संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका
 

संयुक्त राष्ट्र संघ ने महिलाओं के समानाधिकार को बढ़ावा और सुरक्षा देने के लिए विश्वभर में कुछ नीतियां, कार्यक्रम और मापदण्ड निर्धारित किए हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार किसी भी समाज में उपजी सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक समस्याओं का निराकरण महिलाओं की साझेदारी के बिना नहीं पाया जा सकता। 

 

भारत में भी महिला दिवस व्यापक रूप से मनाया जाने लगा है। पूरे देश में इस दिन महिलाओं को समाज में उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है और समारोह आयोजित किए जाते हैं। महिलाओं के लिए काम कर रहे कई संस्थानों द्वारा जैसे अवेक, सेवा, अस्मिता, स्त्रीजन्म, जगह-जगह महिलाओं के लिए प्रशिक्षण शिविर लगाए जाते हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। समाज, राजनीति, संगीत, फिल्म, साहित्य, शिक्षा क्षेत्रों में श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए महिलाओं को सम्मानित किया जाता है। कई संस्थाओं द्वारा गरीब महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

 

भारत में महिलाओं को शिक्षा, वोट देने का अधिकार और मौलिक अधिकार प्राप्त है। धीरे-धीरे परिस्थितियां बदल रही हैं। भारत में आज महिला आर्मी, एयर फोर्स, पुलिस, आईटी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा जैसे क्षेत्र में पुरूषों के कंधे से कंधा मिला कर चल रही हैं। माता-पिता अब बेटे-बेटियों में कोई फर्क नहीं समझते हैं। लेकिन यह सोच समाज के कुछ ही वर्ग तक सीमित है। 

 

सही मायने में महिला दिवस तब ही सार्थक होगा जब विश्व भर में महिलाओं को मानसिक व शारीरिक रूप से संपूर्ण आजादी मिलेगी, जहां उन्हें कोई प्रताड़ित नहीं करेगा, जहां उन्हें दहेज के लालच में जिंदा नहीं जलाया जाएगा, जहां कन्या भ्रूण हत्या नहीं की जाएगी, जहां बलात्कार नहीं किया जाएगा, जहां उसे बेचा नहीं जाएगा। 

 

समाज के हर महत्वपूर्ण फैसलों में उनके नजरिए को महत्वपूर्ण समझा जाएगा। तात्पर्य यह है कि उन्हें भी पुरूष के समान एक इंसान समझा जाएगा। जहां वह सिर उठा कर अपने महिला होने पर गर्व करे, न कि पश्चाताप, कि काश मैं एक लड़का होती।

अजब सवाल के गजब जवाब, लोटपोट सवाल

अजब सवाल के गजब जवाब, लोटपोट सवाल

आज हम आपके लिए कुछ ऐसे अजब सवाल लेकर आए हैं जो बिल्कुल पहेलियों की तरह हैं जिसका जवाब देने में आपको बहुत मजा भी आएगा। इन सवालों के जवाब हम अंत में देंगे इसलिए आप बिना जवाब देखे इस सवाल का जवाब देने की कोशिश करिएगा। चलिए फिर शुरू करते हैं।

1) वह कौन सी ऐसी चीज है जो पंख से भी हल्की है लेकिन फिर भी बड़े से बड़ा ताकतवर आदमी भी उसे कुछ मिनटों से ज्यादा देर नहीं रोक सकता?

2) एक आदमी भारी बारिश में बिना छाते के सड़क पर चला जा रहा था लेकिन फिर भी उसका एक भी बाल गीला नही हुआ, ऐसा क्यों?

3) एक आदमी के कितने जन्मदिन होते हैं?

4) एक सामान्य आदमी के दोनों हाथों तथा दोनों पैरों में कुल कितनी उंगलियाँ होती हैं?

5) यदि 5 खरगोश 5 मिनट में 5 सेब खाते हैं तो 10 खरगोश 10 मिनट में कितने सेब खाएंगे?

6) ऐसा क्या है जिसके पास नॉर्मली रात को सर होता है लेकिन दिन में उसके पास सर नहीं होता?

7) 55 में से 5 कितनी बार घटा सकते हैं?

8) लोग मुझे खाने के लिए खरीदते हैं लेकिन खाते नही हैं। बताओ मैं क्या हूँ?

9) मैं तुम्हारे आस-पास जितना ज्यादा रहूँगा तुम्हे उतना कम दिखेगा, बताओ कौन हूँ मैं?

10) मैं सब चीजों को उल्टा कर सकता हूँ लेकिन अपने आप को हिला भी नही सकता। बताओ मेरा नाम।

अजीबो-गरीब सवाल, जिनके जवाब उससे भी ज्यादा घुमावदार हैं

सही जवाब

1) सांस। (बड़े से बड़ा ताकतवर आदमी भी अपनी सांस ज्यादा देर तक नही रोक सकता है।)

2) क्योंकि वह आदमी बिल्कुल गंजा था।

3) सिर्फ 1 दिन, जिस दिन वह पैदा हुआ। बाकी हर साल उस जन्मदिन को मनाया जाता है।

4) 16 उँगलियाँ, बाकी 4 अंगूठे होते हैं।

5) 20 सेब ( सवाल के अनुसार, एक खरगोश 5 मिनट में 1 सेब खाता है। इस तरह पाँचों खरगोश मिलकर 5 मिनट में एक-एक सेब यानि कि पाँच सेब खा लेते हैं। इसका मतलब हुआ कि 10 खरगोश मिलकर 5 मिनट में 10 सेब खाएंगे तो 10 मिनट में 20 सेब हुए।)

6) तकिया

7) 1 बार (क्योंकि 55 में से 5 घटाते हीं वो 50 बन जाएगा।)

8) प्लेट।

9) अंधेरा।

10) आइना।

*"तन की खूबसूरती एक भ्रम  है..!* *सबसे खूबसूरत आपकी "वाणी" है..!*

*"तन की खूबसूरती एक भ्रम  है..!*
*सबसे खूबसूरत आपकी "वाणी" है..!*
       *चाहे तो दिल "जीत" ले..!*
        *चाहे तो दिल "चीर" दे"!!*
*इन्सान सब कुछ कॉपी कर सकता है..!*
  *लेकिन किस्मत और नसीब नही..!*
*हँसते रहिए हंसाते रहिए?h?*
    *सदा मुस्कुराते रहिए*




*छोटी मगर बहुत बड़ी बात*

" *पानी* अपना पूरा जीवन 
देकर  पेड़ को बड़ा करता हैं, 
इसलिए शायद पानी *लकड़ी* 
को कभी डूबने नहीं देता।"

*माँ- बाप का भी कुछ ऐसा ही सिद्धांत हैं।....*



*रिश्ते, प्यार और मित्रता हर जगह पाये जाते हैं, परन्तु ये ठहरते वहीं हैं - जहां पर इन्हें आदर मिलता है ।।*

*कई बार तबियत दवा लेने से नहीं*,

*हाल पूछने से भी ठीक हो जाती है*

                *कैसे हो आप*!!





सुपर सुविचार


*"आँसू न होते तो आँखे इतनी खुबसूरत न होती,*

*दर्द न होता तो खुशी की कीमत*

*न होती|*

*अगर मिल जाता सब-कुछ केवल चाहने  से,*

*तो दुनिया में _"ऊपर वाले"_की जरूरत ही न होती!!*     


       _**_

           


सुपर सुविचार

*ताकत अपने *लफ़्ज़ों* *में डालों,* *आवाज़* *में नहीं*

*बड़प्पन वह गुण है*
      *जो पद से नहीँ ,*
*संस्कारों से प्राप्त होता है।*

*परायों को अपना बनाना*
*उतना मुश्क़िल नहीँ.....!!*
    *जितना अपनों को* 
  *अपना बनाए  रखना।*



*ताकत अपने *लफ़्ज़ों* *में डालों,*
*आवाज़* *में नहीं*

*क्यूँकि फसल *बारिश* *से उगती है *बाढ़* *से नहीं...*
  



*रेस* चाहे *गाड़ियों* की हो या *ज़िन्दगी* की...

*जीतते* वो ही *लोग* हैं, जो *सही वक़्त* पे *गियर* बदलते हैं...!!
 
*_खुद से बहस करोगे तो_*
      *_सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे !_*

              *_अगर दुसरो से करोगे तो_*
        *_और नये सवाल खड़े हो जायेंगे !!_*



सुपर सुविचार 


*ज़िंदगी उसी को आज़माती है*
*जो हर मोड़ पर चलना जानता है....!!*
*कुछ "पाकर" तो हर कोई मुस्कुराता है,*
*ज़िंदगी शायद उनकी  ही  होती है जो बहुत कुछ "खोकर" भी मुस्कुराना जानता है..*
    



*मन की बात कह देने से,फैसले हो जाते हैं*
                      *और*
*मन में रख लेने से..फासले हो जाते है*!
*कभी भी लोगों की*
*टीका टिप्पणी से*
    *घबराना नही चाहिए*
    *क्योंकि खेल में*
    *दर्शक ही शोर मचाते हैं*
    *खिलाडी नहीं !..
          

सुपर सुविचार 

जब आप अपना दिन शुरू करते हैं..* *अपनी जेब में 3 शब्द रखें..* *कोशिश, सच ,विश्वास...*

*जब आप अपना दिन शुरू करते हैं..*
*अपनी जेब में 3 शब्द रखें..*

*कोशिश, सच ,विश्वास...*

*कोशिश- बेहतर भविष्य के लिए,*
*सच - अपने काम के साथ,*
*विश्वास- भगवान में  रखो*

*तो सफलता आपके पैरों पर होगी!*

            




सुपर सुविचार



*रिश्ते कभी जिंदगी के साथ साथ*
*नहीं चलते..!!*

*रिश्ते एक बार बनते है*

*फिर जिंदगी*
*रिश्तो के साथ साथ चलती* *है*....!!!!
*जो इंसान “खुद” के लिये जीता है...उसका एक दिन “मरण” होता है...पर जो इंसान ”दूसरों” के लिये जीता है...उसका हमेशा “स्मरण” होता है*......




*स्वयं में 'आस्था' है* 
*तो* 
*बंद द्वार में भी 'रास्ता' है*..

भगवान ( खुदा) सुविचार तमाम मित्रों ने वांचवालायक


1. भगवान लकड़ी, पत्थर या मिट्टी की मूर्तियों में नहीं रहते। उनका निवास हमारी भावनाओं में है, हमारे विचारों में है।

 – चाणक्य 

2. ईश्वर न काबा में है, न काशी में वह तो घर-घर में व्याप्त है – हर दिल में मौजूद है।

– महात्मा गाँधी 

3. जैसे पिता अपने प्रिय पुत्र को ताड़ना देता है, वैसे ही प्रभु उस मनुष्य को ताड़ना देता है जिससे वह प्रेम करता है।

– बाईबिल 

4. जिसने सुख में तो ईश्वर को कभी स्मरण नहीं किया और दुःख में याद किया, ऐसे दास की प्रार्थना कौन सुने अर्थात भगवान उसी की सुनते हैं, जो सुख और दुःख में समान भाव रहता है।

– कबीर 

5. धन और ईश्वर में बनती नही गरीब के घर में ही प्रभु निवास करते हैं।

– महात्मा गाँधी 

6. दुखी आशा से ईश्वर में भक्ति रखता है, सुखी भी से दुखी पर जितना ही अधिक दुःख पड़े, उसकी भक्ति बढती जाती है. सुखी पर दुःख पड़ता है, तो वह विद्रोह करने लगता है. वह ईश्वर को भी अपने धन के सामने झुकाना चाहता है।

– प्रेमचन्द 

7. आदमी जितना असमर्थ है, भगवान उतना ही समर्थ है. उसकी कृपा अपरम्पार है. और वह हजार हाथों से मदद करता है।

 – महात्मा गाँधी 

8. ईश्वर उन्हीं की सहायता करता है जो स्वयं अपनी सहायता करते हैं ।

– अज्ञात 

9. जो ईश्वर की आराधना के साथ-साथ पुरूषार्थ करते हैं, उन के दुःख और दारिद्रय दूर होते हैं और ऐश्र्वर्य बढ़ता है।

– ऋग्वेद 

10. जहाज किसी भी दिशा में क्यों न जाए, कम्पास की सूई उत्तर दिशा ही दिखती है. इस कारण जहाज को दिशाभ्रम नहीं होता इसी प्रकार मनुष्य का मन यदि भगवान की ओर रहे तो फिर उसे कोई डर नहीं।

– श्री रामकृष्ण परमहंस 

11. ईश्वर के दो निवास स्थान हैं – एक बैकुंठ में और दूसरा नम्र और कृतज्ञ हृदय में।

– आइजक वाट्सन 

12. अंत: करण यदि मलिन और अपवित्र बना रहे ,तो परमात्मा की उपासना भी फलवती न होगी. अत:ईश्वर की उपासना निष्प्राण हृदय से करें।

– ऋग्वेद 

13. जो ईश्वर को पा लेता है, वह मूक और शांत हो जाता है।

– रामकृष्ण परमहंस 

14. भगवान दुखियों से अत्यंत स्नेह करते हैं।

– जय शंकर प्रसाद 

15. ईश्वर सत्य है और प्रकाश उसकी छाया है।

– प्लेटो 

16. हर तरफ की तारीफ अल्लाह के ही लिए है, सारे संसार का पालनहार (रब) है, निहायत दयावान बेहद मेहरबान है।

– कुरान शरीफ

17. ईश्वर से अधिक निकटतम कोई वस्तु नहीं है।

– स्वामी रामतीर्थ 

18. ईश्वर-विशवास बहुत बड़ी शक्ति है. हमें इस शक्ति से वंचित नहीं रहना चाहिए।

– अज्ञात 

19. मनुष्य का जितना लौकिक कामनाओं, धन आदि के लिए तथा स्त्री आदि के प्रति प्रेम होता है उतना ही यदि वह ईश्वर से प्रेम करे, तो निसंदेह संसार से रक्षा और परमानन्द की प्राप्ति हो सकती है।

– सामवेद 

20. जैसे दूध में मौजूद होते हुए भी घी दिखाई नहीं देता, फूल में गंध होती है पर दिखाई नहीं देती, हमें अपनी बुराई और दूसरे की भलाई दिखाई नहीं देती, बीज में छिपा वृक्ष दिखाई नहीं देता, शरीर में होने वाली पीड़ा दिखाई नहीं देती, वैसे ही सर्वत्र व्याप्त और विद्दमान रहने वाला परमात्मा भी दिखाई नहीं देता।

– अज्ञात 

21. हमारी गाडी चलाने वाला ईश्वर है. उसमें बैठे हम लोग जब तक श्रद्धा रखेंगे, वह जरूर चलते रहेगी।

– महात्मा गाँधी  

22. ईश्वर का दाहिना हाथ कोमल, परन्तु बायां बहुत कठोर है।

– रवीन्द्रनाथ ठाकुर 

23. भगवान ने हमें जीवन का उपहार दिया है; यह अब हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम अपनेआप को  अच्छी तरह से जीने का उपहार दें।

-वॉल्टेयर

24. जब तक आप स्वयं पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर भी विश्वास नहीं कर सकते।

-स्वामी विवेकानंद

25. आप पायेंगे कि  ईश्वर केवल उन लोगों की मदद करते हैं जो कड़ी मेहनत करते हैं। यह सिद्धांत बहुत स्पष्ट है।

-ए. पी. जे. अब्दुल कलाम